हिंदी में विसर्ग से संबंधित विश्लेषण

  विसर्गों की न बिसरने वाली बात -

घृणासूचक अव्यय "छि" को कुछ लोग विसर्ग के साथ "छि:" लिख रहे हैं जो अशुद्ध प्रयोग है। हिंदी में विसर्ग केवल कुछ तत्सम शब्दों के साथ ही लिखे जाते हैं, जैसे:प्रातः, प्रायः। 

छि: विसर्ग नहीं है। जब हम विसर्गों का उच्चारण ही नहीं करते, तो लिखा क्यों जाता है? अर्थात हमें ऐसी चूक से बचना होगा।

हिंदी के विसर्ग, विसर्ग संबंधी विश्लेषण
छि!...
दुहरा डरावना प्रयोग "छि:-छि:" भी प्रायः लिखा मिलता है जो "छिच्छी" बोला जाता है।अधिकांश इकारांत शब्द हिंदी में संस्कृत से आए हैं ।उच्चारण में प्रायः दीर्घ हो जाते हैं और /ई/ से बोले जाते हैं। सो "छिच्छी" से हम चाहे नाक मुँह बिदकाएँ पर विसर्गों का प्रयोग करने से नहीं चूकते।

हिंदी में दुखद सही /दु:खुद -

हिंदी में दुःख (तत्सम) का तद्भव "दुख" रह गया है, इसलिए दुखद। तथा परंपरा से दुःख अशुद्ध नहीं, इसलिए संस्कृत में दुःखद ठीक होगा।

आभार आप सभी का हिंदी से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो कमेंट में जरूर लिख दें मैं उसका जवाब दे दूंगा।

टिप्पणियाँ

Popular posts

वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ/sentence errors

अर्थ, आशय, अभिप्राय, तात्पर्य और भावार्थ

व्यावहारिक हिंदी में वर्तनीगत होने वाली अशुद्धियां

नई सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात/ Painful gift from the new century.