व्यावहारिक हिंदी में वर्तनीगत होने वाली अशुद्धियां

 

वर्तनी संबंधी अशुद्धियां

वर्तनी संबंधी अशुद्धियां

आमतौर पर यह देखा गया है कि वर्तनी संबंधित अशुद्धियां सर्वांधिक होती है यह जाने और अनजाने दोनों तरह से हो जाती हैं। हिंदी में प्रवेश लेने से पूर्व सर्वप्रथम भाषा और व्याकरण का अध्ययन आवश्यक है। यह दोष अक्षम्य होता है। इससे अर्थ भी भिन्न निकलता है। इससे व्यक्ति की अक्षमता के साथ उसके बौद्धिक स्तर का पता चलता है। वर्तनी संबंधी अशुद्धि से उच्चारण दोष भी स्वतः ही आ जाता है। इसके लिए हमें शब्दकोश तथा व्याकरण का अध्ययन निरंतर करते रहना चाहिए । भाषा का सतत अध्ययन करने एवं शब्दकोश को निरंतर देखते रहना चाहिये। आलस्य भाव कभी अपने ऊपर हावी न होने देना चाहिए। कुछ ऐसे शब्द जो रोजमर्रा के जीवन में प्रयुक्त हैं और उनमें भयंकर त्रुटियाँ देखने को मिलती है। उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन के समय मूल्यांकनकर्ता को जब इस तरह की गलतियाँ दिखाई पड़ती है तब उसकी कलम करवाल (तलवार) का रूप अख्तियार कर लेती है। अतः ध्यातव्य है कि भाषा तथा व्याकरण के अध्ययन की सदैव दरकार समझे। कुछ शब्द तथा उनका मानक (सही) स्वरूप दिया जा रहा है

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
अहिल्या अहल्या
अवधी (समय) अवधि (समय)
उज्वल उज्जवल
अतिथी अतिथि
अवधि (भाषा) अवधी (भाषा)
अनुसूया अनसूया
श्रृंगार शृंगार/
उपरोक्त उपर्युक्त
अपरान्ह अपराह्न
अनुग्रहीत अनुगृहीत
महात्म्य माहात्म्य
सन्यासी संन्यासी
श्रीमति श्रीमती
चिन्ह चिह्न
कर्त्तव्य कर्तव्य
शुश्रुर्षा शुश्रूषा
छिपकिली छिपकली
क्षिती क्षिति
कवियत्री कवयित्री
त्यौहार त्योहार
रचियिता रचयिता
बारात बरात
अनेकों अनेक
आशिर्वाद आशीर्वाद
अधिशाषी अधिशासी
न्यौछावर न्योछावर
गीतांजली गीतांजलि
झौंपड़ी झोंपड़ी
निरोग नीरोग
निरिक्षण निरीक्षण
पुरुस्कार/पुरष्कार पुरस्कार
पूज्यनीय पूजनीय
प्रतिलिपी प्रतिलिपि
बाल्मीकी वाल्मीकि
मैथलीशरण मैथिलीशरण
मृत्यू मृत्यु
हेतू हेतु
स्वातंत्रयोतर स्वातंत्र्योत्तर
शुद्धी शुद्धि
विधी विधि
मिश्री मिस्री
ध्वनी ध्वनि
नींबू नीबू
निहारिका नीहारिका
प्रस्तुतिकरण प्रस्तुतीकरण
पुनरावलोकन पुनरवलोकन
प्रज्ज्वलित प्रज्वलित
प्रतिलिप्याधिकार प्रतिलिप्यधिकार
भारवी भारवि
याज्ञवलक्य याज्ञवल्क्य
हानी हानि
सूचिपत्र सूचीपत्र
शुद्धिकरण शुद्धीकरण
वापिस वापस
बिभीषन विभीषण
शारीरीक शारीरिक
मिष्ठान मिष्ठान्न/मिष्टान्न

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