नई सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात। बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात। पानी आंखों का मरा, मरी शर्म और लाज। कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज। भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास। बहन पराई हो गई, साली खासमखास। मंदिर में पूजा करे, घर में करे क्लेश। बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश। बचे कहां अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान फैला है पाखंड का, अंधकार सब और पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर
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