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कि और की

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'कि'(That) और 'की'(Of) "कि" का प्रयोग - "कि" का प्रयोग 'संज्ञा विशेषणवाचक' वाक्यों में होता है। जैसे - मोहन ने कहा कि मैं विद्यालय जा रहा हूं। ‘कि’ एक संयोजक (जोड़ने वाला) शब्द है जो मुख्य वाक्य को आश्रित वाक्य के साथ जोड़ने का कार्य करता है। मुख्य वाक्य - मोहन ने कहा। आश्रित वाक्य - मैं विद्यालय जा रहा हूं। संयोजक - " कि" " कि " बनने वाली संयोजक - क्योंकि, बल्कि, ताकि, न कि,जोकि, वहीं की वहीं "कि" यह पहले वाक्य के अंत में और दूसरे वाक्य के प्रारंभ में लगता है।       जैसे -  शिक्षक ने कहा 1 " कि"   सभी अनुशासन बनाए रखें।2  ‘कि’ का प्रयोग विभाजन के लिए ‘या’ के स्थान पर भी होता है।          जैसे - तुम डाक-टिकिट संग्रह करते हो कि सिक्के। ‘कि’ का प्रयोग क्रिया (Verb) के बाद ही होता है। जैसे   मोहन ने कहा "कि" शिक्षक ने कहा  "कि" ‘की’ का प्रयोग 1. संबंधबोधक कारक - का, "की" , के,रा,रि,रे। संज्ञा या सर्वनाम शब्द के बाद आने वाले अन्य संज्ञा शब्द के बीच "की" का प्र

सादृश्य शब्दों के प्रभाव से होने वाली अशुद्धियां समझें विश्लेषणात्मक ढ़ंग से।

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संस्कृत के कुछ शब्दों के सादृश्य प्रभाव को अशुद्ध रूप में ग्रहण कर लेने से हिंदी में कुछ शब्दों की वर्तनी अशुद्ध लिखी जा रही है।  'स्रोत'  'स्रोत' ऐसा ही एक उदाहरण है। इसमें 'स्र' के स्थान पर 'स्त्र' का प्रयोग देखा जाता है - 'स्त्रोत'! स्रोत संस्कृत के 'स्रोतस्' से विकसित हुआ है किंतु हिंदी में आते-आते इसके अर्थ में विस्तार मिलता है। मूलतः स्रोत झरना, नदी, बहाव का वाचक है।  अमरकोश के अनुसार  "स्वतोऽम्बुसरणम् ।" वेगेन जलवहनं स्रोतः ।  स्वतः स्वयमम्बुनः सरणं गमनं स्रोतः।    अब हम किसी वस्तु या तत्व के उद्गम या उत्पत्ति स्थान को या उस स्थान को भी जहाँ से कोई पदार्थ प्राप्त होता है, स्रोत कहते हैं।  " भागीरथी (स्रोत) का उद्गम गौमुख है" न कहकर हम कहते हैं-  भागीरथी का स्रोत गौमुख है। अथवा,  भागीरथी का उद्गम गौमुख है।  स्रोत की ही भाँति सहस्र (हज़ार) को भी 'सहस्त्र' लिखा जा रहा है। कारण संभवतः संस्कृत के कुछ शब्दों के बिंबों को भ्रमात्मक स्थिति में ग्रहण किया गया है। हिंदी में तत्सम शब्द :-   अस्त्र, शस्त्र, स्त्री,

वादा है यदि आपने ये पेज पढ़ लिए तो आप हिंदी में कभी गलती नहीं करेंगे/Promise if you read these page you will never make mistake in Hindi

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साथियो!  इसमें आपको क्या क्या पढ़ने को मिलेगा वह आप देखें।   देवनागरी लिपि का परिचय  ;  मानक हिंदी वर्णमाला तथा  अंक; हिंदी वर्णमाला;  हिंदी अंक; बारहखड़ी ; परिवर्धित देवनागरी वर्णमाला;   हिंदी वर्णमाला लेखन विधि;  हिंदीवर्तनी का मानकीकरण;  संयुक्त वर्ण;  कारक चिह्न / परसर्ग;   योजक चिह्न (-)      अव्यय;  अनुस्वार तथा अनुनासिक; विसर्ग(:),हलचिह्न(्); अवग्रह (ऽ), स्वन परिवर्तन ''ऐ' 'औ' का प्रयोग पूर्वकालिक कृदंत प्रत्यय 'कर','वाला'   प्रत्ययश्रुतिमूलक 'य', 'व'        विदेशी ध्वनियाँ, संयुक्त क्रियापद हिंदी के संख्यावाचक शब्दों की एकरूप संख्यावाचक शब्द; क्रमसूचक संख्या ; भिन्न सूचक संख्या; पैराग्राफ विभाजन में सूचक वर्गों तथा अंकों का प्रयोग आदि। तथा इससे भी कहीं और ज्यादा आपको इसमें कंटेंट मिलने वाला है; कभी कभी हो सकता है आपकी धीमी नेटवर्क गति के कारण पेज धीरे-धीरे खुलें पर खुलने के बाद आप स्वयं कहेंगे कि आपने तो कमाल कर दिया क्योंकि इन्हीं बातों के लिए हर जगह यूट्यूब वीडियो घंटो-घंटो बर्बाद कर देते हैं फिर भी हमें शुद्ध हिंदी व्याकरण

'कोई, कुछ' शब्दों का प्रयोग कहां-कहां होता है? समझे बहुत ही आसान शब्दों में विस्तार से।

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पाठको! तो फिर चलिए मैं आपको बताता हूं कोई ,कुछ का भावार्थ क्या होता है यह वे शब्द है जो आपके मस्तिष्क को बार-बार उद्वेलित करते हैं और आपको हमेशा इसके प्रति जानने की तीव्र अभिलाषा की बनाए रखते है।   मेरे मन में कुछ और हैं, तेरे मन में कुछ और। भला क्यों छोड़ेंगे कोई; ' कोई/कुछ' का बिन जानें और।।    "कोई" शब्द कहां प्रयुक्त होता है? - [ संज्ञा /सर्वनाम /विशेषण /क्रियाविशेषण ] 1. संज्ञा -  कोई क्या जानेगा।   "कोई" - वक्ता के कथन का लक्षित व्यक्ति। क्या - जानना क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रिया विशेषण जानेगा - वर्तमानकालीन वाक्य का भविष्यत् कालीन कथन। कोई-कोई देख कर भी अनदेखा कर देते हैं। ( उपर्युक्त वाक्य में प्रयुक्त "कोई" शब्द व्यक्ति के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है जो  जानना क्रिया का लक्षित कर्ता है । जब उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष, अनिश्चित अन्यपुरुष के बारे में बात करें तब अनिश्चयवाचक सर्वनाम "कोई" का प्रयोग होता है )  2. सर्वनाम  आपसे कोई मिलना चाहते हैं।  कथन उत्तम पुरुष (वक्ता) द्वारा कहा गया । आपसे  - मध्यम पुरुष (श्रोता)  "

हिंदी भाषा मानकीकरण एवं शब्दावली निर्माण की प्रक्रिया/ hindi maanakeekaran shabdaavalee nirmaan prakriya

भाषा मानकीकरण की प्रक्रिया   जिस भाषा-समाज में शब्दावली का विकास स्वाभाविक प्रयोग प्रक्रिया से शुरू न होकर पर्याय निर्माण की प्रक्रिया से शुरू होता है वहाँ कई प्रकार की सामाजिक और भाषागत समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।  उदाहरणार्थ, भारत में 1951-60 के दशक में शब्दावली संबंधी तीन परस्पर विरोधी विचारधाराएँ उभरकर सामने आई जिन्होंने शब्दावली निर्माण के प्रयासों को तीन विभिन्न दिशाओं की ओर ले जाने का प्रयास किया  शब्दावली की शुद्धतावादी धारा के समर्थक हर अंग्रेजी शब्द के लिए हिंदी या संस्कृत के ही शब्द चाहते थे।  अंग्रेज़ी का एक भी शब्द उन्हें स्वीकार नहीं था।  दूसरी धारा  जो संस्कृत शब्दों की विरोधी थी,  हिंदुस्तानी या बोलचाल के भाषा रूप का ही प्रयोग करने के पक्ष में थी।  इसी काल की एक और विशेषता यह रही कि अनेक  उत्साही विद्वानों या संस्थाओं ने समरूपता और समन्वय की परवाह किए बिना शब्द निर्माण की अपनी-अपनी टकसालें खोल दीं।  जिसके फलस्वरूप भिन्न-भिन्न राज्यों या क्षेत्रों में अक्सर एक ही शब्द के कई पर्याय विकसित हो गए जो मानक शब्दावली के विकास में बाधक सिद्ध हुए, जैसे : Director   - निर्देशक,

"हिंदी की बिंदी" शुद्ध व्याकरणिक प्रयोग कैसे करें, बहुत ही पसंदीदा/जिज्ञासु तथ्य जाने/"Hindi ki bindi" pasandeeda/jigyaasu tathy.

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"हिंदी की बिंदी" अनुस्वार,चंद्रबिंदु , आगत स्वर-व्यंजन(ॉ/क़/ख़/ग़/ज़/फ़),  द्वित्व/उत्क्षिप्त(ड़/ढ़) ध्वनि, विसर्ग ( : )     क वर्ग का (ङ्)  अनुनासिकता :-  अनुनासिक ध्वनियां- चंद्रबिंदु ,अनुस्वार और आगत ध्वनि अंग्रेजी का /ॉ/ ये सभी  हिंदी के न तो स्वर हैं न व्यंजन ।   👉 तो फिर ये क्या हैं?    1.आगत स्वर- हिंदी में अनेक शब्द अंग्रेजी से तथा अनेक योरोपीय भाषाओं से आ गए हैं। इन शब्दों के साथ एक ऐसी स्वर ध्वनि भी आ गई है जो पहले से हिंदी में नहीं थी। इसके लिए हिंदी में नया वर्ण भी बना लिया गया है। इस ध्वनि के उच्चारण को समझने के लिए अंग्रेजी के निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए  doctor coffee, shop, ball आदि।  इन शब्दों के उच्चारण करते - समय ज्ञात होगा कि इन शब्दों में आने वाला स्वर न तो हिंदी का 'ओ' स्वर है और न ही 'औ' स्वर । वस्तुतः इसका उच्चारण इन दोनों के मध्य में पड़ता है। इसके लिए 'आ' स्वर के ऊपर चंद्राकार चिह्न लगाकर 'ऑ'वर्ण बनाया गया है तथा इसका मात्रा चिह्न है 👉ॉ ऊपर दिए गए अंग्रेजी के शब्दों का लेखन इस प्रकार किया जाएगा डॉक्टर, कॉफ़ी,

हिंदी तूं जनभाषा ही नहीं जनाधार है/Hindi toon janabhaasha hee nahin janaadhaar hai.

देवनागरी लिपि ज्ञान/Devanagari script knowledge "आदि देववाणी जो धन्या, हिन्दी उसकी दिव्या कन्या, सरस सरल जय हिंदी भारतवाणी, विश्वप्रेम आधार अपार, हिन्दी से ही राष्ट्र-एकता हुई है साकार।''              कहने को तो रहते हैं, हम हिन्दोस्तान में,    बचते हैं बात करने से, हिन्दी जुबान में।

हिंदी की अकर्मक क्रिया का स्वरूप/Hindi ki akarmak kriya "aana".

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हिंदी में "आना" क्रिया के प्रयोग की अनेक छटाएं में प्राप्त होती हैं। यहाँ हम इसकी अर्थ छटाओं के कुछ आयामों की चर्चा करेंगे । आना गत्यर्थक अकर्मक क्रिया है जिससे वक्ता या उल्लिखित संदर्भित व्यक्ति के प्रति कर्ता की गति का बोध होता है।  (1)चलने के स्थान का उल्लेख 'से' अपादान कारक द्वारा तथा उद्दिष्ट स्थान, आने, पहुंचने के स्थान का बोध प्रायः 'तक' से हो सकता है वहां आना क्रिया का प्रयोग होता है। पीता जी घर आए। नेताजी दिल्ली से आगरा आए । मैं कानपुर से लखनऊ तक आपके साथ आ रहा हूँ। (2) एक विचित्र स्थिति तब आती है जब गतिशील कर्ता उद्दिष्ट स्थान के साथ आना क्रिया लगाता है जो स्थिर है और क्रिया का वास्तविक कर्ता भी नहीं है। तब मन के अर्थ बिंब के अनुसार अर्थ ग्रहण करते हैं। जैसे: स्टेशन आया, मैं उतर गया।  (स्टेशन नहीं, गाड़ी स्टेशन पर आई) अब आगरा आएगा (अब आगरा पहुँचेंगे) (3) किसी कौशल या विद्या की जानकारी होने के लिए भी आना किया प्रयुक्त होती है। ऐसी स्थिति में कर्ता के साथ 'को' विभक्ति लगती है। क्रिया प्रायः अपूर्ण पक्ष में होती है और इस संरचना को "जानना&quo

संघर्षी वर्ण श/स/ष में आधारभूत अंतर जाने/sh/sa/sh me aadharabhut antar jane.

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भारतीय भाषाओं में कुछ ध्वनियाँ ऐसी हैं जिनके आंचलिक उच्चारण कालांतर में मूल से छिटक गए हैं। कुछ समय के साथ लुप्तप्राय हो गए, कुछ बहस का मुद्दा बने और कुछ मिलती-जुलती ध्वनि के भ्रम में फँस गए। उच्चारण के विषय में इस प्रकार की दुविधा को देखते हुए मैं समय-समय पर भाषा, लिपि और ध्वनियों की बारीकी स्पष्ट करते हुए आलेख प्रकाशित करने को प्रतिबद्ध हूं। आगामी हिन्दी दिवस पर इसी शृंखला में एक और बड़े भ्रम पर बात करना स्वाभाविक ही है।  यह भ्रम है श और ष के बीच का। भारतीय वाक् में ध्वनियों को जिस प्रकार मुखस्थान या बोलने की सुविधा के हिसाब से बाँटा गया है उससे इस विषय में किसी भ्रम की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए क्योंकि इसका वर्गीकरण वैज्ञानिक है परंतु हमारे हिन्दी शिक्षण में जिस प्रकार सतर्कता के अभाव के साथ-साथ तथाकथित विद्वानों द्वारा परंपरा के साथ अस्पृश्यता का व्यवहार किया जाता है उससे ऐसे भ्रम पैदा होना और बढ़ना स्वाभाविक है। ष की बात करने से पहले सरलता के लिये आइए आरंभ "श" से करते हैं। श की ध्वनि सरल है। आमतौर पर विभिन्न भाषाओं में और भाषाओं से इतर आप श (SH) जैसी जो ध्वनि बोलते सुनते हैं

संघ लोक सेवा आयोग का हिंदी भाषा व्यवहार/Hindi language behavior of Union Public Service Commission

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- कृपया इस वाक्य को पढ़ें भारत में संविधान के संदर्भ में, सामान्य विधियों में अंतर्विस्ट प्रतिषेध अथवा निर्बंधन अथवा उपबंध, अनुच्छेद 142 के अधीन सांविधानिक शक्तियों पर प्रतिरोध अथवा निर्बंधन की तरह कार्य नहीं कर सकते।   ये दो वाक्य भी देखें :- पहला 'वार्महोल' से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई। दूसरा- यूएनसीएसी अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार विरोधी लिखत है। क्या आप इन वाक्यों को समझ सके? ये हैं क्या? ये सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा 2019 में पूछे गए प्रश्नों की हिंदी भाषा के कुछ नमूने हैं। मूल प्रश्न पत्र अंग्रेजी में तैयार होता है और उसी प्रश्न के नीचे उसका हिंदी अनुवाद दिया जाता है यानी वह 'अनुदित हिंदी' है। अब मैं आता हूं मूल समस्या पर आइएएस बनने के लिए आपको 200 अंकों वाले सौ प्रश्नों के सामान्य अध्ययन के पेपर में सामान्यतया 100 अंक लाने ही होते हैं। परीक्षा में कुल लगभग 5-6 लाख युवा बैठते हैं, जिनमें से 10-12 हजार का चयन होना होता है। इन आंकड़ों से आप इस तथ्य का अनुमान तो लगा ही सकते हैं कि 0.01 अंक

वैज्ञानिक,तकनीकी शब्दावली में स्वीकृत हिंदी शब्दावली निर्माण के सिद्धांत

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Principles of Hindi vocabulary formation accepted in scientific, technical terminology. 1. अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को यथासंभव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में ही अपनाना चाहिए और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार ही उनका लिप्यंतरण करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली के अंतर्गत निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं :-  क) तत्वों और यौगिकों के नाम जैसे हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि; ख) तौल और माप की इकाइयाँ और भौतिक परिमाण की इकाइयाँ जैसे डाइन, कैलॉरी,ऐप्पियर आदि; ग) ऐसे शब्द जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं जैसे मार्क्सवाद (कार्ल मार्क्स ), ब्रेल (ब्रेल), बॉयकाट (कैप्टन बॉयकाट), गिलोटिन (डॉ• गिलोटिन), गेरीमैंडर (मि.गेरी), एम्पियर (मि एम्पियर) फारेनहाइट तापक्रम (मि. फारेनहाइट) आदि; घ) वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भूविज्ञान आदि की द्विपदी नामावली; ङ) स्थिरांक जैसे ग, g आदि। च) ऐसे अन्य शब्द जिनका आमतौर पर सारे संसार में व्यवहार हो रहा है जैसे रेडियो, पेट्रोल, रेडार, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि; और छ) गणित और विज्ञान की अन्य शाखाओं के संख्यांक, प्रतीक चिह्न और सूत्र,

नई सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात/ Painful gift from the new century.

नई सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात।  बेटा कहता बाप से, तेरी क्‍या औकात।  पानी आंखों का मरा, मरी शर्म और लाज।  कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज।  भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्‍वास।  बहन पराई हो गई, साली खासमखास।  मंदिर में पूजा करे, घर में करे क्‍लेश। बापू तो बोझा लगे, पत्‍थर लगे गणेश।  बचे कहां अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान पत्‍थर के भगवान हैं, पत्‍थर दिल इंसान  फैला है पाखंड का, अंधकार सब और पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर

हिंदी व्याकरण के उल्लेखनीय तथ्य जो जानना जरूरी/Important facts of Hindi grammar that you need to know.

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ऐसे अनेक प्रकार के उदाहरण हैं। जैसे नीचे दिए गए शब्दों में उनके साथ कोष्ठक के शब्द हिंदी व्याकरण के अनुसार ग़लत और त्याज्य हैं।  कागज़ - कागज़ों (कागज़ात, कागजातों) जज़्बा - जज़्बों (जज़्बात, जज़्बातों) फ़साद - फसादों ( फ़सादात, फ़सादातों) ज़ुल्म  - ज़ुल्मों (जुलमात, जुलमातों) संदर्भ और प्रयोग के अनुसार कभी-कभी कागज़ और कागज़ात भिन्नार्थक भी हो सकते हैं। जैसे: 1. चार सफ़ेद कागज़ दीजिए । 2.मकान के कागज़ात कहाँ रखे हैं? दोनों बहुवचन हैं, किंतु प्रयोग में भिन्नार्थी शब्द हैं। अरबी फ़ारसी से आगत शब्दों के बारे में अनेक आग्रह हैं। कहते हैं फ़ारसी 'पैवंद' हिंदी में 'पैबंद' हो गया जो है । यह तो तद्भवीकरण की प्रक्रिया है और हिंदी की सहज प्रवृत्ति भी ।  हिंदी में अधिकतर शब्द बदले रूप में ही प्रयुक्त होते हैं जैसे 'मुआमलह' < 'मामला', 'ज़ियादह' < 'ज़्यादा'। अरबी में "हाल" पुल्लिंग है, "हालत" स्त्रीलिंग,  बहुवचन "हालात" पुल्लिंग। वैश्विक नियम है कि आगत शब्दों में व्याकरण नियम ग्रहण करने वाली भाषा के लगेंगे। हम मूल