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सादृश्य शब्दों के प्रभाव से होने वाली अशुद्धियां समझें विश्लेषणात्मक ढ़ंग से।

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संस्कृत के कुछ शब्दों के सादृश्य प्रभाव को अशुद्ध रूप में ग्रहण कर लेने से हिंदी में कुछ शब्दों की वर्तनी अशुद्ध लिखी जा रही है।  'स्रोत'  'स्रोत' ऐसा ही एक उदाहरण है। इसमें 'स्र' के स्थान पर 'स्त्र' का प्रयोग देखा जाता है - 'स्त्रोत'! स्रोत संस्कृत के 'स्रोतस्' से विकसित हुआ है किंतु हिंदी में आते-आते इसके अर्थ में विस्तार मिलता है। मूलतः स्रोत झरना, नदी, बहाव का वाचक है।  अमरकोश के अनुसार  "स्वतोऽम्बुसरणम् ।" वेगेन जलवहनं स्रोतः ।  स्वतः स्वयमम्बुनः सरणं गमनं स्रोतः।    अब हम किसी वस्तु या तत्व के उद्गम या उत्पत्ति स्थान को या उस स्थान को भी जहाँ से कोई पदार्थ प्राप्त होता है, स्रोत कहते हैं।  " भागीरथी (स्रोत) का उद्गम गौमुख है" न कहकर हम कहते हैं-  भागीरथी का स्रोत गौमुख है। अथवा,  भागीरथी का उद्गम गौमुख है।  स्रोत की ही भाँति सहस्र (हज़ार) को भी 'सहस्त्र' लिखा जा रहा है। कारण संभवतः संस्कृत के कुछ शब्दों के बिंबों को भ्रमात्मक स्थिति में ग्रहण किया गया है। हिंदी में तत्सम शब्द :-   अस्त्र, शस्त्र, स्त्री,

वादा है यदि आपने ये पेज पढ़ लिए तो आप हिंदी में कभी गलती नहीं करेंगे/Promise if you read these page you will never make mistake in Hindi

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साथियो!  इसमें आपको क्या क्या पढ़ने को मिलेगा वह आप देखें।   देवनागरी लिपि का परिचय  ;  मानक हिंदी वर्णमाला तथा  अंक; हिंदी वर्णमाला;  हिंदी अंक; बारहखड़ी ; परिवर्धित देवनागरी वर्णमाला;   हिंदी वर्णमाला लेखन विधि;  हिंदीवर्तनी का मानकीकरण;  संयुक्त वर्ण;  कारक चिह्न / परसर्ग;   योजक चिह्न (-)      अव्यय;  अनुस्वार तथा अनुनासिक; विसर्ग(:),हलचिह्न(्); अवग्रह (ऽ), स्वन परिवर्तन ''ऐ' 'औ' का प्रयोग पूर्वकालिक कृदंत प्रत्यय 'कर','वाला'   प्रत्ययश्रुतिमूलक 'य', 'व'        विदेशी ध्वनियाँ, संयुक्त क्रियापद हिंदी के संख्यावाचक शब्दों की एकरूप संख्यावाचक शब्द; क्रमसूचक संख्या ; भिन्न सूचक संख्या; पैराग्राफ विभाजन में सूचक वर्गों तथा अंकों का प्रयोग आदि। तथा इससे भी कहीं और ज्यादा आपको इसमें कंटेंट मिलने वाला है; कभी कभी हो सकता है आपकी धीमी नेटवर्क गति के कारण पेज धीरे-धीरे खुलें पर खुलने के बाद आप स्वयं कहेंगे कि आपने तो कमाल कर दिया क्योंकि इन्हीं बातों के लिए हर जगह यूट्यूब वीडियो घंटो-घंटो बर्बाद कर देते हैं फिर भी हमें शुद्ध हिंदी व्याकरण

'कोई, कुछ' शब्दों का प्रयोग कहां-कहां होता है? समझे बहुत ही आसान शब्दों में विस्तार से।

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पाठको! तो फिर चलिए मैं आपको बताता हूं कोई ,कुछ का भावार्थ क्या होता है यह वे शब्द है जो आपके मस्तिष्क को बार-बार उद्वेलित करते हैं और आपको हमेशा इसके प्रति जानने की तीव्र अभिलाषा की बनाए रखते है।   मेरे मन में कुछ और हैं, तेरे मन में कुछ और। भला क्यों छोड़ेंगे कोई; ' कोई/कुछ' का बिन जानें और।।    "कोई" शब्द कहां प्रयुक्त होता है? - [ संज्ञा /सर्वनाम /विशेषण /क्रियाविशेषण ] 1. संज्ञा -  कोई क्या जानेगा।   "कोई" - वक्ता के कथन का लक्षित व्यक्ति। क्या - जानना क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रिया विशेषण जानेगा - वर्तमानकालीन वाक्य का भविष्यत् कालीन कथन। कोई-कोई देख कर भी अनदेखा कर देते हैं। ( उपर्युक्त वाक्य में प्रयुक्त "कोई" शब्द व्यक्ति के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है जो  जानना क्रिया का लक्षित कर्ता है । जब उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष, अनिश्चित अन्यपुरुष के बारे में बात करें तब अनिश्चयवाचक सर्वनाम "कोई" का प्रयोग होता है )  2. सर्वनाम  आपसे कोई मिलना चाहते हैं।  कथन उत्तम पुरुष (वक्ता) द्वारा कहा गया । आपसे  - मध्यम पुरुष (श्रोता)  "

हिंदी भाषा मानकीकरण एवं शब्दावली निर्माण की प्रक्रिया/ hindi maanakeekaran shabdaavalee nirmaan prakriya

भाषा मानकीकरण की प्रक्रिया   जिस भाषा-समाज में शब्दावली का विकास स्वाभाविक प्रयोग प्रक्रिया से शुरू न होकर पर्याय निर्माण की प्रक्रिया से शुरू होता है वहाँ कई प्रकार की सामाजिक और भाषागत समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।  उदाहरणार्थ, भारत में 1951-60 के दशक में शब्दावली संबंधी तीन परस्पर विरोधी विचारधाराएँ उभरकर सामने आई जिन्होंने शब्दावली निर्माण के प्रयासों को तीन विभिन्न दिशाओं की ओर ले जाने का प्रयास किया  शब्दावली की शुद्धतावादी धारा के समर्थक हर अंग्रेजी शब्द के लिए हिंदी या संस्कृत के ही शब्द चाहते थे।  अंग्रेज़ी का एक भी शब्द उन्हें स्वीकार नहीं था।  दूसरी धारा  जो संस्कृत शब्दों की विरोधी थी,  हिंदुस्तानी या बोलचाल के भाषा रूप का ही प्रयोग करने के पक्ष में थी।  इसी काल की एक और विशेषता यह रही कि अनेक  उत्साही विद्वानों या संस्थाओं ने समरूपता और समन्वय की परवाह किए बिना शब्द निर्माण की अपनी-अपनी टकसालें खोल दीं।  जिसके फलस्वरूप भिन्न-भिन्न राज्यों या क्षेत्रों में अक्सर एक ही शब्द के कई पर्याय विकसित हो गए जो मानक शब्दावली के विकास में बाधक सिद्ध हुए, जैसे : Director   - निर्देशक,

"हिंदी की बिंदी" शुद्ध व्याकरणिक प्रयोग कैसे करें, बहुत ही पसंदीदा/जिज्ञासु तथ्य जाने/"Hindi ki bindi" pasandeeda/jigyaasu tathy.

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"हिंदी की बिंदी" अनुस्वार,चंद्रबिंदु , आगत स्वर-व्यंजन(ॉ/क़/ख़/ग़/ज़/फ़),  द्वित्व/उत्क्षिप्त(ड़/ढ़) ध्वनि, विसर्ग ( : )     क वर्ग का (ङ्)  अनुनासिकता :-  अनुनासिक ध्वनियां- चंद्रबिंदु ,अनुस्वार और आगत ध्वनि अंग्रेजी का /ॉ/ ये सभी  हिंदी के न तो स्वर हैं न व्यंजन ।   👉 तो फिर ये क्या हैं?    1.आगत स्वर- हिंदी में अनेक शब्द अंग्रेजी से तथा अनेक योरोपीय भाषाओं से आ गए हैं। इन शब्दों के साथ एक ऐसी स्वर ध्वनि भी आ गई है जो पहले से हिंदी में नहीं थी। इसके लिए हिंदी में नया वर्ण भी बना लिया गया है। इस ध्वनि के उच्चारण को समझने के लिए अंग्रेजी के निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए  doctor coffee, shop, ball आदि।  इन शब्दों के उच्चारण करते - समय ज्ञात होगा कि इन शब्दों में आने वाला स्वर न तो हिंदी का 'ओ' स्वर है और न ही 'औ' स्वर । वस्तुतः इसका उच्चारण इन दोनों के मध्य में पड़ता है। इसके लिए 'आ' स्वर के ऊपर चंद्राकार चिह्न लगाकर 'ऑ'वर्ण बनाया गया है तथा इसका मात्रा चिह्न है 👉ॉ ऊपर दिए गए अंग्रेजी के शब्दों का लेखन इस प्रकार किया जाएगा डॉक्टर, कॉफ़ी,