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हिंदी वर्णों के विश्लेषण पर आधारित प्रश्नोत्तरी
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अर्थ, आशय, अभिप्राय, तात्पर्य और भावार्थ ये पाँचों शब्द प्रायः समानार्थी माने जाते हैं। शब्दकोश भी इनके अर्थ मिलते-जुलते देते हैं किंतु सूक्ष्म रूप से देखें तो इनमें निश्चय ही कुछ अंतर है । अर्थ से तात्पर्य सामान्यतः शब्दार्थ से होता है। आप किसी उक्ति, कथन में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ जानते हैं तो आप उक्ति का सामान्य अर्थ भी जानते हैं। उस अर्थ को बता भी सकते हैं। आशय आशय और अर्थ में बस इतना ही अंतर है कि शब्दों का अलग-अलग अर्थ जाने बिना भी आप संदर्भ समझते हुए बात का आशय ग्रहण कर लेते हैं। तात्पर्य इससे कहीं आगे हैं। यह तत्परता का दूसरा रूप है। तत्पर अर्थात उसके बाद आने वाला (तत् परम्)। जब आप किसी बात के गूढ़ अर्थ समझाने लगते हैं, एक के बाद एक उसकी परतें खोलने लगते हैं, तब आप तात्पर्य समझा रहे होते हैं और दूसरा भी तात्पर्य ग्रहण कर रहा होता है। अभिप्राय इसमें अभि उपसर्ग है और इसका आशय गति करने के निकट है (संस्कृत √इ धातु, अभि और प्र उपसर्ग) अर्थात आप अगले के भावों तक पहुंचते हैं। अपना अभिप्राय स्पष्ट करते हैं तो उसमें आपकी राय, आपकी धारणा भी दूसरे तक...
भारतीय भाषाओं में कुछ ध्वनियाँ ऐसी हैं जिनके आंचलिक उच्चारण कालांतर में मूल से छिटक गए हैं। कुछ समय के साथ लुप्तप्राय हो गए, कुछ बहस का मुद्दा बने और कुछ मिलती-जुलती ध्वनि के भ्रम में फँस गए। उच्चारण के विषय में इस प्रकार की दुविधा को देखते हुए मैं समय-समय पर भाषा, लिपि और ध्वनियों की बारीकी स्पष्ट करते हुए आलेख प्रकाशित करने को प्रतिबद्ध हूं। आगामी हिन्दी दिवस पर इसी शृंखला में एक और बड़े भ्रम पर बात करना स्वाभाविक ही है। यह भ्रम है श और ष के बीच का। भारतीय वाक् में ध्वनियों को जिस प्रकार मुखस्थान या बोलने की सुविधा के हिसाब से बाँटा गया है उससे इस विषय में किसी भ्रम की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए क्योंकि इसका वर्गीकरण वैज्ञानिक है परंतु हमारे हिन्दी शिक्षण में जिस प्रकार सतर्कता के अभाव के साथ-साथ तथाकथित विद्वानों द्वारा परंपरा के साथ अस्पृश्यता का व्यवहार किया जाता है उससे ऐसे भ्रम पैदा होना और बढ़ना स्वाभाविक है। ष की बात करने से पहले सरलता के लिये आइए आरंभ "श" से करते हैं। श की ध्वनि सरल है। आमतौर पर विभिन्न भाषाओं में और भाषाओं से इतर आप श (SH) जैसी जो ध्वनि बोलते सुनते हैं...
Principles of Hindi vocabulary formation accepted in scientific, technical terminology. 1. अंतर्राष्ट्रीय शब्दों को यथासंभव उनके प्रचलित अंग्रेजी रूपों में ही अपनाना चाहिए और हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं की प्रकृति के अनुसार ही उनका लिप्यंतरण करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली के अंतर्गत निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं :- क) तत्वों और यौगिकों के नाम जैसे हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि; ख) तौल और माप की इकाइयाँ और भौतिक परिमाण की इकाइयाँ जैसे डाइन, कैलॉरी,ऐप्पियर आदि; ग) ऐसे शब्द जो व्यक्तियों के नाम पर बनाए गए हैं जैसे मार्क्सवाद (कार्ल मार्क्स ), ब्रेल (ब्रेल), बॉयकाट (कैप्टन बॉयकाट), गिलोटिन (डॉ• गिलोटिन), गेरीमैंडर (मि.गेरी), एम्पियर (मि एम्पियर) फारेनहाइट तापक्रम (मि. फारेनहाइट) आदि; घ) वनस्पति विज्ञान, प्राणी विज्ञान, भूविज्ञान आदि की द्विपदी नामावली; ङ) स्थिरांक जैसे ग, g आदि। च) ऐसे अन्य शब्द जिनका आमतौर पर सारे संसार में व्यवहार हो रहा है जैसे रेडियो, पेट्रोल, रेडार, इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि; और छ) गणित और विज्ञान की अन्य शाखाओं के संख्यांक, प्रतीक चिह्न और सू...
नमस्ते साथियों, इसके माध्यम से आप हिंदी स्वर,व्यंजन, आगत ध्वनि उच्चारण, सामान्यतः स/श/ष में होने वाली अशुद्धियां आदि में सुधार करने में यह लेख सहायक होगा। हिंदी वर्णमाला के बारे में आधारभूत समझ, तथा वर्णों के उच्चारण, लेखन इत्यादि के बारे में असमंजस्य दूर करने हेतु आप मेरे दिए गए लिंक के माध्यम से अपना हिंदी कौशल सुधारने में समर्थ रहेंगे ऐसी मैं कामना करता हूंं। स्वर ज्ञान के लिए इस पर क्लिक करें। व्यंजन ज्ञान के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको वाकई हिंदी उच्चारण में यह सहायता करें तो कमेंट करके और पेज फोलो करके जरूर बताएं तथाअपने साथियों को शेयर जरूर करें। धन्यवाद।
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