हिंदी क्यों और कैसे तथा संधि संबंधी त्रुटियाँ/ Hindi kyon aur kaise sandhi trutiyaan


 हिंदी क्यों और कैसे ? 

हिंदी की सामान्य गलतियों से कैसे बचें, हिंदी भाषा का विस्तार, तकनीकी युग में हिंदी की महत्ता


भाषा नितांत सामाजिक वस्तु होती है। वह समाज के रंग में रंग कर ही विकसित होती है। आज के उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण के इस दौर में किसी भी भाषा के साहित्यिक रूप के साथ-साथ उसके प्रतियोगितापरक रूपों का विकास भी अनिवार्य है। आज वही व्यक्ति समाज में जीवन यापन कर पाएगा जिसको भाषा के बहुआयामी रूपों की जानकारी है। इसी क्रम में भारत की अधिकृत भाषा हिंदी है, जिसको बोलने, समझने, पढ़ने, लिखने वालों की संख्या लगभग 75 से 80 करोड़ है। इतनी बड़ी संख्या में हिंदी लोगों की जुबान (व्यवहृत भाषा) है। इससे स्वतः ही इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। हिंदी आज राजभाषा, संपर्क भाषा एवं वैश्विक बाजार संचालन की भाषा के रूप में प्रमुखता प्राप्त किए हुए हैं। हिंदी का केवल साहित्यिक रूप ही नहीं बल्कि प्रयोजनपरक रूप भी इस समय सर्वाधिक चर्चित है। इसका (हिंदी) अध्ययन, अध्यापन अब केवल साहित्यिक सेवा के लिए ही नहीं बल्कि आजीविका के लिए भी सामने है। इसके अध्येता अब अनेक क्षेत्रों में अपने भविष्य का निर्धारण कर सकते

 हैं।

वर्तमान काल का भयावह सच है- बेरोजगारी। वैश्वीकरण और बाजारीकरण के बढ़ते प्रभाव ने रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए हैं, इसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता है। ऐसे माहौल में सबसे ज्यादा अवसर भाषा के अध्येता के लिए हैं। इसके साथ मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में भी हिंदी भाषा के • अध्ययन के लिए रोजगार की अनेक संभावनाएं दावत दे रही हैं।

रोजगार के विभिन्न क्षेत्र एवं हिंदी:

हिंदी अब दोहों, साखियों, गजलों, पदों, कहानी, उपन्यास आदि की भाषा न रहकर इसने अपना एक प्रयोजनमूलक रूप भी अख्तियार कर लिया है। हिंदी भाषा और साहित्य का अध्ययन करने वाले व्यक्ति अब केवल अध्यापक की नौकरी तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसे हम यूँ कहें कि अब हिंदी पढ़ने तथा उसका ज्ञान अर्जित करने के बाद केवल सरकारी नौकरी और वह भी अध्यापकीय नौकरी तक ही सीमित नहीं रहेगा। मीडिया तथा बाजार के बढ़ते प्रभाव से हिंदी अध्येता के लिए रोजगार की अनंत संभावनाएँ है। इसे दो भागों में विभक्त करके देख सकते हैं। एक तो सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र में रोजगार तथा दूसरा निजी क्षेत्र में रोजगार के प्रमुख अवसर। सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए सभी जगह प्रतियोगी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। इन परीक्षाओं में भाषा दक्षता की एक परीक्षा होती हैं। इस प्रतियोगी परीक्षा में किसी पद के लिए तो अलग से ही एक प्रश्न पत्र होता है, तो किसी पद के लिए कुछ अंकों का भाषा परीक्षण होता है।

सर्वप्रथम सार्वजनिक क्षेत्र मानी सरकारी सेवाओं में हिंदी विषय के प्रश्न पत्र की बात करे तो निम्नलिखित परीक्षाओं में हिंदी का प्रश्न पत्र होता है। जैसे- भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) राज्यों के राज्य लोक सेवा आयोगों में प्रशासनिक पदों के लिए संयुक्त परीक्षा में अलग से एक प्रश्न पत्र होता है। न्यायिक सेवाओं में भी हिंदी के सामान्य प्रश्न पूछे जाते हैं। साथ ही नेट, सेट, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल व्याख्याता, नवोदय स्कूल में अध्यापक से लेकर व्याख्याता तक, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, केंद्रीय विद्यालय संगठन के सभी स्तर के अध्यापकीय पदों का हिंदी परीक्षण होता है। रेलवे, प्री-बीएड परीक्षा, लिपिक, हिंदी अधिकारी, राजभाषा अधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी आदि पदो पर चयनित व्यक्ति की परीक्षा में हिंदी का ज्ञान (पढ़ना, लिखना, बोलना आवश्यक माना गया है। इन सरकारी सेवाओं में अनिवार्य हिंदी जिसमें मूलतः व्याकरण आधारित प्रश्न वस्तुनिष्ठ तथा विषयनिष्ठ किए जाते हैं। यदि प्रतियोगी हिंदी विषय में ही अध्यापकीय, जिसमें ग्रेड द्वितीय से व्याख्याता तक सम्मिलित है, में अपना भविष्य निर्माण चाहता है, तो भाषा, व्याकरण के साथ ऐसे प्रतियोगी की साहित्य संबंधित जानकारी की भी परीक्षा होती हैं। इन प्रश्नों का स्तर बहुत गंभीर होता है क्योंकि अध्यापक हिंदी का बनने जा रहा है। इसके अतिरिक्त पदों के लिए हिंदी परीक्षा का स्तर बेहतर और सामान्य होता है ।

सरकारी क्षेत्र के अतिरिक्त आज निजी क्षेत्र में हिंदी के बल पर रोजगार के अवसर सरकारी क्षेत्र से कहीं अधिक है। यह बेहतर अवसर है। अर्थ (धन) उपार्जन के साथ-साथ सम्मानीय भी है। अर्थात् धन और मश दोनों एक साथ प्राप्ति। जन संचार माध्यमों के बढ़ते प्रभाव से हिंदी अध्येता के लिए अनत अवसर है। इसकी प्राप्ति हेतु एक शर्त है, वह है योग्यता की। योग्य व्यक्ति के लिए एक से बढ़कर एक नौकरी अग्रिम दस्तक देती है। भूमंडलीकरण के नाम पर भूमंडलीकरण में बदलते विश्व ने संचार माध्यमों के विविध रूपों को जन्म दिया है। बाजार ने इन रूपों का बखूबी प्रयोग किया है। यह सच है कि बाजार अपने सप्रत्यय (मूल) विचार, अर्थात् मुनाफा कमाने) से विलग नहीं होने वाला। यदि यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वर्तमान में हिंदी मीडिया बाजार की आवश्यकता बन गया है। आज हिंदी का नीति नियंता केंद्र सरकार का राजभाषा विभाग ही नहीं बल्कि मीडिया को भी कहना चाहिए। वेबसाइटों का तेजी से होता हिंदीकरण, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हिंदी के नए प्रभाव को दर्शाता है। भारत का फिल्म उद्योग दुनिया का सर्वाधिक बड़ा उद्योग है। एक वर्ष में संसार के सभी देशों में भारत में सर्वाधिक फिल्में बनती है। मुंबई का फिल्म उद्योग पूर्णतः हिंदीमय है। ऐसे में हिंदी के अध्येता के लिए अपनी रुच्यनुसार नौकरी प्राप्त करनी है; जैसे- पटकथाकार, संवाद लेखक, गीतकार अनुवादक, अनाउसर, विज्ञापन लेखन, प्रूफरीडर, टंकक आदि।

लोप की प्रवृत्ति हिंदी में नहीं है। इसलिए हिंदी एक वैज्ञानिक भाषाओं में से एक है। इस आलेख में सामान्य त्रुटियों की तरफ इशारा आलेखों में आलोच्य विषय की विस्तृत विस्तृत जानकारी संभव है। इस आलेख में विभिन्न प्रकार की सामान्य त्रुटियाँ और उनके शुद्ध रूपों को दिया जा रहा है।

विभिन्न प्रकार की त्रुटियाँ तथा उनका निवारण:-

हिंदी के अध्ययन से पूर्व व्याकरण तथा भाषायी नियमों का ज्ञान जरूरी हैं। इसके अभाव में विभिन्न प्रकार की सामान्य सी लगने वाली गलतियाँ भी भयंकर बन जाती हैं। जब उनका अर्थ निकलेगा तो कहीं अलग ही जाकर गिरेगा। अर्थ का अनर्थ हो जाएगा। छात्र की समस्त प्रकार शुभ्र छवि धूमिल हो जाएगी। इसलिए आवश्यकता है सचेत रहकर अध्ययन करने की । इन गलतियों (त्रुटियों) के निम्न प्रकार है 

1. संधि संबंधी त्रुटियाँ

संधि संबंधी त्रुटियाँ तथा निवारण-

इसके लिए कुछ ऐसे शब्द दिए जा रहे हैं, जिनके संधि या विच्छेद को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है, जिनकी सही संधि तथा संधि विच्छेदित रूप दोनों दिए जा रहे हैं।

सर्वप्रथम ध्यातव्य रहे कि संधि दो या दो से अधिक वर्ण तथा ध्वनियों के परस्पर मेल से उत्पन्न विकार (परिवर्तन) को कहते हैं; न कि दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर मेल समास रचना कहलाता है।

शब्द (संधि).               संधिच्छेद (संधि-विच्छेद)

विश्वामित्र                      विश्व+मित्र

मूसलाधार                          मूसल+ धार 

सुखार्त                           सुख+ऋत

अक्षौहिणी                      अक्ष+ऊहिनी

महौषध                           महा + औषध

महर्ण                              महा+ऋण

कुलटा                             कुल + अटा

वाचस्पति                         वाच: + पति

स्वैर                                स्व+ ईर

अष्टावक्र                        अष्ट+वक्र

दशार्ण                          दश+ऋण

नीरोग                          निः + रोग

उज्जवल                          उत्+ज्वल

मार्तंड                          मार्त + अण्ड

सारंग                            सार+अंग

अगली पोस्ट आपको समास संबंधित त्रुटियों को सुधारने में सहायक होगी उसे जरूर पढ़ें।

सहयोग देने के लिए बहुत-बहुत आभार!

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