कोरे कागज पर लिखता हूं
कोरे कागज पर लिखता हूं आखों में रात बिताता हूं अरमान वही है इसलिए बीहड़ों में राह बनाता हूं पंछी ने पूछा पथिक से- क्यों लुटा है तू अपने जीवन में बोला- तन से हूं तूलमय,मन से हूं मोदमय मेरे सपने अनंत अशेष,कृत्य कर रहा हूं निर्निमेष मत पूछ मेरे पंछी एक बार फिर कहता हूं बढ़ा है हौंसला,न रुका हूं न रुकूंगा जीवनभर।। Create by shyam sundar