देवनागरी लिपि ज्ञान/Devanagari script knowledge

साथियों! अक्षर हमें यह भ्रम रहता है विशेषकर हिंदी वर्णमाला में देवनागरी लिपि को लेकर उसके वर्ण, शब्दों के प्रयोग हमें असमंजस्य रहता है इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने आपके लिए यह पोस्ट पेज में उपलब्ध करवाई है।

     देवनागरी लिपि का परिचय

भाषा के उच्चरित रूप को निर्धारित प्रतीक चिह्नों के माध्यम से लिखित रूप देने का माध्यम ही लिपि है, अर्थात् किसी भाषा के लिखने का ढंग लिपि कहलाता है। दूसरे शब्दों में, लिपि मनुष्य द्वारा अपने भावों, विचारों, अनुभवों आदि को संप्रेषित करने का दृश्य माध्यम है। लिपि के कारण ही सहस्रों वर्ष पूर्व के शिलालेख, ताम्रपत्र हस्तलेख आदि आज भी जीवंत हैं, जो हमें उस काल के इतिहास, वैभव, सभ्यता आदि से परिचित कराते हैं। लिपि मानव समुदाय का एक अद्भुत आविष्कार है। लिपि की उत्पत्ति से पूर्व भावाभिव्यक्ति का दायरा बोलने और सुनने तक ही सीमित था। मनुष्य की यह उत्कट अभिलाषा रही होगी कि उसके ज्ञान-विज्ञान संबंधी भाव और विचार दूर-दूर तक पहुँच सकें और उन्हें भविष्य के लिए संचित किया जा सके। यही इच्छा आगे चलकर मनुष्य के लिए लिपि के आविष्कार की प्रेरणा भी बनी।

विश्व में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें अधिकतर भाषाओं की अपनी लिपि है। जापानी भाषा की जापानी तथा चीनी भाषा की चीनी लिपि है। अँग्रेजी, फ्रांसीसी, स्पेनिश आदि यूरोपीय भाषाओं के लिए रोमन लिपि का प्रयोग होता है। भारत में भी अनेक लिपियाँ प्रचलित हैं। यहाँ बांग्ला, तमिल, तेलुगु, मलयालम, गुजराती आदि भाषाओं की अपनी-अपनी लिपियाँ हैं। हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। प्रारंभ में देवनागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत भाषा के लिए होता था। आज भी हो रहा है। इस समय देवनागरी लिपि में हिंदी के अतिरिक्त मराठी, कोंकणी, नेपाली, डोगरी आदि कई भाषाएँ लिखी जा रही हैं।

देवनागरी, बांग्ला, गुजराती, आदि लिपियों का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। ब्राह्मी के प्राचीनतम नमूने (शिलालेख) ईसा से 500 वर्ष पूर्व के प्राप्त होते हैं और 350 ई. तक इसका यही स्वरूप प्रचलित रहा। बाद में इसकी उत्तरी और दक्षिणी शैलियाँ विकसित हो गई। उत्तरी शैली से देवनागरी, बांग्ला, गुरमुखी आदि लिपियों का तथा दक्षिणी शैली से तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड आदि लिपियों का विकास हुआ। उत्तरी शैली से विकसित लिपियों में देवनागरी लिपि विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसका प्रारंभ 1000 ई. पू. से माना जाता है। देवनागरी लिपि निरंतर विकसित होती गई और वर्तमान में यह एक समृद्ध लिपि के रूप में प्रसिद्ध है। देवनागरी लिपि में भारत की बारह भाषाएँ लिखी जाती हैं। विद्वानों ने देवनागरी को विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि स्वीकार किया है।
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 122 प्रमुख भाषाएँ और 544 अन्य भाषाएँ हैं । इन सभी को भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रो-एशियाटिक और चीनी तिब्बती परिवारों में बाँटा गया है। 'भारत आर्य परिवार में हिंदी, असमिया, बांग्ला, ओड़िआ, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिंधी, कश्मीरी, 'द्रविड़ परिवार' में तमिल, तेलुगु, कन्नड और मलयालम, 'आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार' में संताली और 'चीनी-तिब्बती परिवार में बोडो तथा मणिपुरी आदि भाषाएँ आती हैं
धन्यवाद।

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टिप्पणियाँ

  1. इसमें बहुत अच्छा कंटेंट है यह हिंदी भाषा कैसे अपने लिखने शुद्ध बोलने में बहुत ही सहायक हैं

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  2. कृतज्ञता प्रकट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
    मैंने और भी बहुत से लेख लिखे हैं
    थोड़ा शेयर करने में सहयोग करना प़्लीज।

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