हिंदी व्याकरण के उल्लेखनीय तथ्य जो जानना जरूरी/Important facts of Hindi grammar that you need to know.
अनुसार ग़लत और त्याज्य हैं।
कागज़ - कागज़ों (कागज़ात, कागजातों)
जज़्बा - जज़्बों (जज़्बात, जज़्बातों)
फ़साद - फसादों ( फ़सादात, फ़सादातों)
ज़ुल्म - ज़ुल्मों (जुलमात, जुलमातों)
संदर्भ और प्रयोग के अनुसार कभी-कभी कागज़ और कागज़ात भिन्नार्थक भी हो सकते हैं। जैसे:
1. चार सफ़ेद कागज़ दीजिए ।
2.मकान के कागज़ात कहाँ रखे हैं?
दोनों बहुवचन हैं, किंतु प्रयोग में भिन्नार्थी शब्द हैं।
अरबी फ़ारसी से आगत शब्दों के बारे में अनेक आग्रह हैं। कहते हैं फ़ारसी 'पैवंद' हिंदी में 'पैबंद' हो गया जो है । यह तो तद्भवीकरण की प्रक्रिया है और हिंदी की सहज प्रवृत्ति भी ।
हिंदी में अधिकतर शब्द बदले रूप में ही प्रयुक्त होते हैं जैसे 'मुआमलह' < 'मामला', 'ज़ियादह' < 'ज़्यादा'।
अरबी में "हाल" पुल्लिंग है, "हालत" स्त्रीलिंग,
बहुवचन "हालात" पुल्लिंग। वैश्विक नियम है कि आगत शब्दों में व्याकरण नियम ग्रहण करने वाली भाषा के लगेंगे। हम मूल शब्द हाल, हालत को ले रहे हैं, हालात (ब व) को नहीं। पर कहीं इससे भी एक कदम आगे हालात को पुनः बहुवचन "हालातों" बना दिया जाता है।
चर्चा शब्द उर्दू में पुंलिंग है ( कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा ) और हिन्दी में स्त्रीलिंग । संस्कृत में चर्चा शब्द 'उल्लेख करना' के साथ साथ लेपन करने के अर्थ में भी है -
चन्दन चर्चित नीलकलेवर पीतवसन वनमाली ।
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