संघ लोक सेवा आयोग का हिंदी भाषा व्यवहार/Hindi language behavior of Union Public Service Commission

संघ लोक सेवा आयोग का हिंदी के प्रति रवैया, यूपीएससी और हिंदी, यूपीएससी भर्तियां में हंदी कैसे पास करें?

- कृपया इस वाक्य को पढ़ें

भारत में संविधान के संदर्भ में, सामान्य विधियों में अंतर्विस्ट प्रतिषेध अथवा निर्बंधन अथवा उपबंध, अनुच्छेद 142 के अधीन सांविधानिक शक्तियों पर प्रतिरोध अथवा निर्बंधन की तरह कार्य नहीं कर सकते। 

ये दो वाक्य भी देखें :-

पहला 'वार्महोल' से होते हुए अंतरा-मंदाकिनीय अंतरिक्ष यात्रा की संभावना की पुष्टि हुई। दूसरा-यूएनसीएसी अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार विरोधी लिखत है।

क्या आप इन वाक्यों को समझ सके? ये हैं क्या? ये सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा 2019 में पूछे गए प्रश्नों की हिंदी भाषा के कुछ नमूने हैं। मूल प्रश्न पत्र अंग्रेजी में तैयार होता है और उसी प्रश्न के नीचे उसका हिंदी अनुवाद दिया जाता है यानी वह 'अनुदित हिंदी' है।

अब मैं आता हूं मूल समस्या पर आइएएस बनने के लिए आपको 200 अंकों वाले सौ प्रश्नों के सामान्य अध्ययन के पेपर में सामान्यतया 100 अंक लाने ही होते हैं। परीक्षा में कुल लगभग 5-6 लाख युवा बैठते हैं, जिनमें से 10-12 हजार का चयन होना होता है। इन आंकड़ों से आप इस तथ्य का अनुमान तो लगा ही सकते हैं कि 0.01 अंक का भी कितना अधिक महत्व होता होगा। दूसरी बात यह कि परीक्षार्थी को 120 मिनट में 100 प्रश्न हल करने होते हैं। यदि उसका उत्तर गलत हुआ तो दंड के बतौर उसके नंबर काट लिए जाते हैं यानी यहां उसके सामने चुनौती यह भी है कि वह प्रश्नों को तेजी से समझे और सही-सही समझे नहीं तो लेने की जगह देने पड़ जाएंगे।

 इस पृष्ठभूमि में आप हिंदी और अन्य भारतीय भाषा के माध्यम वाले परीक्षार्थियों की समस्या और उनके सामने प्रस्तुत उस भयावह संकट पर पूरी संवेदनशीलता के साथ विचार करें, जो 'अनुदित हिंदी' ने खड़ा कर दिया है। सौ प्रश्नों में से प्रतिवर्ष औसतन आठ-दस प्रश्न ऐसे होते ही है, जो इस तरह की अबूझ, क्लिष्ट एवं अव्यावहारिक हिंदी से सुसज्जित होते हैं महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हीं प्रश्नों को अंग्रेजी में आसानी से समझा जाता है। ऐसी हिंदी के कारण परिणाम यह हो रहा है कि 2011 से पहले तक प्रारंभिक परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफल होने वाले प्रतियोगियों का प्रतिशत जहां 40 से भी अधिक था, वहीं अब गिरकर 10-12 प्रतिशत के आसपास आ गया है। स्वाभाविक है कि जब प्रारंभिक परीक्षा में ही हिंदी वाले बाहर हो गए हैं तो अंतिम चयन सूची में उनकी उपस्थिति अपने-आप दाल में नमक की तरह रह जाएगी। कुछ बुद्धिजीवियों और नीति निर्माता प्रशासकों द्वारा इसे हिंदी वालों की अयोग्यता अक्षमता का प्रमाण घोषित कर दिया जाता है।

यह भाषाई अन्याय केवल हिंदी वालों के साथ ही नहीं, बल्कि उन सभी भारतीय भाषाओं के युवाओं के साथ भी हो रहा है, जो स्वयं को माध्यम के रूप में अंग्रेजी लेने की स्थिति में नहीं पाते। सिविल सेवा परीक्षा के प्रश्न पत्र केवल दो ही भाषाओं में छपते हैं- अंग्रेजी और हिंदी में स्पष्ट है कि प्रश्नों को समझने के लिए गैर हिंदीभाषी भी हिंदी भाषा का ही सहारा लेते हैं। यदि उन्हें अंग्रेजी आ रही होती तो वे उसे ही अपना माध्यम बना लेते साफ है कि बड़ी चालाकी से उन्हें भी प्रारंभिक स्तर पर ही बाहर कर दिया जा रहा है।  

जहां तक मुख्य परीक्षा की हिंदी का प्रश्न है, उसमें स्थिति उतनी बुरी नहीं है, फिर भी ऐसे कई शब्दों की भरमार देखने को मिलती है, जिनसे हिंदीभाषियों की भेंट नहीं होती है। आज आम आदमी 'सर्जिकल स्ट्राइक' शब्द से परिचित हो चुका है, लेकिन सिविल सेवा का पेपर इसे 'शल्यक प्रखर' लिखता है। अंकीयकृत प्रजनक, विधीयन, प्रोत्कर्ष, प्रमाना, प्रवसन जैसे अनेक ऐसे शब्दों को चुन-चुनकर लाया जाता है, जो समझ से परे हों।

हिंदी में 'डिजिटलीकरण के लिए पता नहीं क्यों संघ लोक सेवा आयोग को 'अंकीयकृत' शब्द अधिक अच्छा लगता है। 

यूपीएससी का अनुवादक अंग्रेजी के एक ही शब्द के लिए अलग-अलग जगहों पर हिंदी के अलग-अलग शब्दों का प्रयोग करता है। जैसे 'मैनडेटरी' के लिए कहीं अनिवार्य, कहीं अधिदेशित तो कहीं आज्ञापरख। 

'साइंटिस्ट ऑबजर्ज्ड' को हिंदी में 'वैज्ञानिकों ने प्रेक्षण किया' लिखेंगे तो थोड़ी देर के लिए हिंदी वाला सहमेगा ही। साफ है कि संघ लोक सेवा आयोग हिंदी में अनुवाद को लेकर बहुत ही उपेक्षापूर्ण रुख धारण किए हुए है। उसमें न । तो हिंदी भाषा के प्रति कोई दायित्वबोध दिखाई दे रहा है और न ही संवेदनशीलता, बल्कि उसकी इस भाषाई गतिविधि ने जाने-अनजाने में हिंदी वाले के लिए इस परीक्षा को दुरूह बना दिया है। इस बात को लेकर गैर अंग्रेजीभाषियों में न केवल खदबदाहट है, बल्कि आक्रोश भी है। इस अन्याय को जल्दी से जल्दी दूर किए जाने की सख़्त आवश्यकता है। 

आभार!

टिप्पणियाँ

Popular posts

संघर्षी वर्ण श/स/ष में आधारभूत अंतर जाने/sh/sa/sh me aadharabhut antar jane.

अर्थ, आशय, अभिप्राय, तात्पर्य और भावार्थ

नई सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात/ Painful gift from the new century.