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हिन्दी शब्द किस भाषा से लिया गया है?

हिन्दी शब्द किस भाषा से लिया गया है? हिन्दी शब्द फारसी भाषा से लिया गया है  इसका सर्वप्रथम प्रयोग सैफुद्दीन यजद्दी ने अपने ग्रंथ जफरनामा में 1424 में किया था।

शब्द,पदबंध,पदबंध के भेद /shabd,padabandh,padabandh ke bhed

 शब्द एक या एक से अधिक वर्णों का सार्थक व स्वतंत्र ध्वनि समूह शब्द कहलाता है जैसे लड़का, घर आदि।  पद  'पद' की रचना शब्द से ही होती है जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो वह पद बनता है। जैसे-लड़का पर जाता है।  पदबंध जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तब उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं जैसे मेरा एक बड़ा लड़का पर जाता है। उपयुक्त वाक्य में मेरा एक बड़ा लड़का' पदबंध है।  पदबंध के भेद  पदबंध के पाँच भेद होते हैं (क) संज्ञा पदबंध       (ख) सर्वनाम पदबंध      (ग) विशेषणपदबंध    (घ) क्रिया पदबंध                (ङ) क्रियाविशेषण पदबंध  (क) संज्ञा पदबंध-  जो पदबंध वाक्य में वही प्रकार्य करते है जिसे अकेला सज्ञा पद करता है; उस पदबंध को संज्ञा पदबंध कहते है। संज्ञा पदबंध के शीर्ष में संज्ञा पद होता है; अन्य सभी पद उस पर आश्रित होते हैं। जैसे- (1) मेहनत करने वाले छात्र अवश्य सफल होंगे।  (i) मेरे पिता जी ने ठंड में ठिठुरतेरते निर्धन एवं दुर्बत...

कि और की

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'कि'(That) और 'की'(Of) "कि" का प्रयोग - "कि" का प्रयोग 'संज्ञा विशेषणवाचक' वाक्यों में होता है। जैसे - मोहन ने कहा कि मैं विद्यालय जा रहा हूं। ‘कि’ एक संयोजक (जोड़ने वाला) शब्द है जो मुख्य वाक्य को आश्रित वाक्य के साथ जोड़ने का कार्य करता है। मुख्य वाक्य - मोहन ने कहा। आश्रित वाक्य - मैं विद्यालय जा रहा हूं। संयोजक - " कि" " कि " बनने वाली संयोजक - क्योंकि, बल्कि, ताकि, न कि,जोकि, वहीं की वहीं "कि" यह पहले वाक्य के अंत में और दूसरे वाक्य के प्रारंभ में लगता है।       जैसे -  शिक्षक ने कहा 1 " कि"   सभी अनुशासन बनाए रखें।2  ‘कि’ का प्रयोग विभाजन के लिए ‘या’ के स्थान पर भी होता है।          जैसे - तुम डाक-टिकिट संग्रह करते हो कि सिक्के। ‘कि’ का प्रयोग क्रिया (Verb) के बाद ही होता है। जैसे   मोहन ने कहा "कि" शिक्षक ने कहा  "कि" ‘की’ का प्रयोग 1. संबंधबोधक कारक - का, "की" , के,रा,रि,रे। संज्ञा या सर्वनाम शब्द के बाद आने वाले अन्य संज्ञा शब्द के बीच "की" का प्र...

सादृश्य शब्दों के प्रभाव से होने वाली अशुद्धियां समझें विश्लेषणात्मक ढ़ंग से।

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संस्कृत के कुछ शब्दों के सादृश्य प्रभाव को अशुद्ध रूप में ग्रहण कर लेने से हिंदी में कुछ शब्दों की वर्तनी अशुद्ध लिखी जा रही है।  'स्रोत'  'स्रोत' ऐसा ही एक उदाहरण है। इसमें 'स्र' के स्थान पर 'स्त्र' का प्रयोग देखा जाता है - 'स्त्रोत'! स्रोत संस्कृत के 'स्रोतस्' से विकसित हुआ है किंतु हिंदी में आते-आते इसके अर्थ में विस्तार मिलता है। मूलतः स्रोत झरना, नदी, बहाव का वाचक है।  अमरकोश के अनुसार  "स्वतोऽम्बुसरणम् ।" वेगेन जलवहनं स्रोतः ।  स्वतः स्वयमम्बुनः सरणं गमनं स्रोतः।    अब हम किसी वस्तु या तत्व के उद्गम या उत्पत्ति स्थान को या उस स्थान को भी जहाँ से कोई पदार्थ प्राप्त होता है, स्रोत कहते हैं।  " भागीरथी (स्रोत) का उद्गम गौमुख है" न कहकर हम कहते हैं-  भागीरथी का स्रोत गौमुख है। अथवा,  भागीरथी का उद्गम गौमुख है।  स्रोत की ही भाँति सहस्र (हज़ार) को भी 'सहस्त्र' लिखा जा रहा है। कारण संभवतः संस्कृत के कुछ शब्दों के बिंबों को भ्रमात्मक स्थिति में ग्रहण किया गया है। हिंदी में तत्सम शब्द :-   अस्त्र, शस्त्र, स्त्री, ...