वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ/sentence errors
वाक्य संबंधी अशुद्धियाँ - मनुष्य अपने भाव एवं विचारों को प्रकट करने के लिए शब्दों का सहारा लेता है। शब्दों को एक क्रम में रखकर अर्थ की दृष्टि से सही और स्पष्ट प्रयोग हम वाक्य के माध्यम से प्रकट करते हैं। वाक्य के दो (अवयव) हैं- उद्देश्य और विधेय। जिस वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, वह उद्देश्य तथा उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे सूचित करने वाले शब्दों को विधेय कहते हैं | वाक्य निर्माण के नियम बने हुए हैं, परंतु उनके अध्ययन के अभाव में हम अनेक प्रकार से अशुद्धियाँ, त्रुटियाँ करते चले जाते हैं, जिनका भाव स्वयं लिखने वाले को भी नहीं होता। इन अशुद्धियों में हैं- संज्ञा संबंधी, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, लिंग, वचन, कारक (परसर्ग) के प्रयोग, अव्यय, पदक्रम, द्विरुक्ति, पुनरुक्ति, अधिक पदत्व, विराम चिह्न आदि के प्रयोग संबंधी त्रुटियाँ। इसके लिए आवश्यक है संपूर्ण व्याकरण का गंभीर अध्ययन। वाक्य संबंधी अशुद्धियों के कतिपय उदाहरण हैं - व्याकरण अध्ययन के अभाव के कारण हम आम तौर पर अपने लेखन में उपर्युक्त अशुद्धियाँ करते हैं। इसके अतिरिक्त व्याकरण के विविध पक्षों, यथा- संज्ञा,...
हिंदी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1424 ईस्वी में अपने ग्रंथ जफरनामा में विदेशों में `हिंदी भाषा " के अर्थ में किया गया !
जवाब देंहटाएंडॉ धीरेंद्र वर्मा द्वारा संपादित "हिंदी साहित्य कोश"भाग फर्स्ट के अनुसार 13वीं 14वीं शताब्दी में देशी भाषा को हिंदी हिंदी या हिंदकी या हिंदुई नाम देने में अबुल हसन या अमीर खुसरो का नाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण है!
जवाब देंहटाएंहिंदी का नवीन अर्थ में लिखित प्रयोग सर्वप्रथम केप्टिन टेलर ने सन् 1812 ईस्वी में फोर्ट विलियम कॉलेज के वार्षिक विवरण में किया!
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