अर्थ, आशय, अभिप्राय, तात्पर्य और भावार्थ
अर्थ, आशय, अभिप्राय, तात्पर्य और भावार्थ ये पाँचों शब्द प्रायः समानार्थी माने जाते हैं। शब्दकोश भी इनके अर्थ मिलते-जुलते देते हैं किंतु सूक्ष्म रूप से देखें तो इनमें निश्चय ही कुछ अंतर है । अर्थ से तात्पर्य सामान्यतः शब्दार्थ से होता है। आप किसी उक्ति, कथन में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ जानते हैं तो आप उक्ति का सामान्य अर्थ भी जानते हैं। उस अर्थ को बता भी सकते हैं। आशय आशय और अर्थ में बस इतना ही अंतर है कि शब्दों का अलग-अलग अर्थ जाने बिना भी आप संदर्भ समझते हुए बात का आशय ग्रहण कर लेते हैं। तात्पर्य इससे कहीं आगे हैं। यह तत्परता का दूसरा रूप है। तत्पर अर्थात उसके बाद आने वाला (तत् परम्)। जब आप किसी बात के गूढ़ अर्थ समझाने लगते हैं, एक के बाद एक उसकी परतें खोलने लगते हैं, तब आप तात्पर्य समझा रहे होते हैं और दूसरा भी तात्पर्य ग्रहण कर रहा होता है। अभिप्राय इसमें अभि उपसर्ग है और इसका आशय गति करने के निकट है (संस्कृत √इ धातु, अभि और प्र उपसर्ग) अर्थात आप अगले के भावों तक पहुंचते हैं। अपना अभिप्राय स्पष्ट करते हैं तो उसमें आपकी राय, आपकी धारणा भी दूसरे तक...
हिंदी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1424 ईस्वी में अपने ग्रंथ जफरनामा में विदेशों में `हिंदी भाषा " के अर्थ में किया गया !
जवाब देंहटाएंडॉ धीरेंद्र वर्मा द्वारा संपादित "हिंदी साहित्य कोश"भाग फर्स्ट के अनुसार 13वीं 14वीं शताब्दी में देशी भाषा को हिंदी हिंदी या हिंदकी या हिंदुई नाम देने में अबुल हसन या अमीर खुसरो का नाम सबसे अधिक महत्वपूर्ण है!
जवाब देंहटाएंहिंदी का नवीन अर्थ में लिखित प्रयोग सर्वप्रथम केप्टिन टेलर ने सन् 1812 ईस्वी में फोर्ट विलियम कॉलेज के वार्षिक विवरण में किया!
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